True sense of Respect / सम्मान की सच्ची भावना
Roshni was alone at home today, she wanted to go to her native land for summer vacation. Roshni was writing something on the desk in her room. The fields spread far outside the window, and the wide road, she was enjoying the morning time and the light-cool breeze. She was feeling self-satisfaction. He was enjoying unknown protection, like a small child hiding in his mother's lap after doing something wrong. The mother covers him with her lap and makes him feel safe with the shield of her love.
Meanwhile, Grandfather entered the room, ' He said what are you thinking, Roshni?
Right, I am feeling very good, I don't know why I am feeling myself in the circle of security.
The chirping of birds, this natural beauty, peace, and the cool breeze, give a sense of great happiness and self-satisfaction.
Grandpa, why do I feel like this?
Grandfather looked into Roshni's eyes, and seeing her deep emotion said, ' Son, it is the respect you are giving to Mother Nature, it is your love that is attracting you to the beauty of Mother Earth.
Dada explained, ' We feel very happy to meet someone, to talk to him awakens, there is attraction.
But on the other hand, there is no desire to see someone. His mere presence makes one jealous, the breath quickens, and one gets angry.
Roshni was listening carefully to Dada's words.
Then Dada said, "It is your honor that you give respect to nature.
It is not that someone talks to me lovingly so he is good to me or, only if he helps me. No, it is not like that at all, someone is good because I am good. I have respect for him in my heart.
Dada asked, Ok Roshni, "Do you love your mother?
Roshni smilingly said, " I love her so much."
Can you prove this? Dada asked.
Roshni sank into her thought and started thinking that there is love for her mother, but how to tell and express the same.
Grandfather understood and said, "Do you help your mother? Do you help her with her work? Do you fulfill her needs without saying anything?"
She gleefully said, yes.
"Tell me what do you do?" Dada spoke.
I make tea for her, dry clothes, and sometimes help in the kitchen too. Grandfather shook his head and said, "This is love and respect.
Similarly, completing your studies without asking is also giving respect to parents and teachers. It is also a respect to keep books, clothes, and other things in the right place. To remain disciplined is also to give respect. Waking up early in the morning, doing your work honestly, sleeping on time, and using mobile or electronic gadgets to a minimum are also given respect.
Dada was still testing Roshni. And said, "We give this respect to others, but in this, the benefit is entirely ours. Progress is ours in giving respect to others.
"Understood Roshni" Grandpa stood up now going out for a walk. Roshni immediately brought his walking stick and gave it to him, and a long smile gleamed on her lips and eyes with shines.
रौशनी, आज घर में अकेली थी, गर्मियों की छुट्टीयों वह अपने नेटिव लैंड जाना चाहती थी। रोशनी अपने कमरे में, डेस्क पर कुछ लिख रही थी। खिड़की से बाहर दूर तक फैले खेत, चौड़ी सी सड़क, सुबह का समय एवं हल्की -हल्की ठंडी हवा का आनंद ले रही थी। उसे आत्म संतुष्टि का बोध हो रहा था। उसे अज्ञात सुरक्षा का अभ्यास हो रहा था, जैसे एक छोटा सा बालक कुछ गलत करने के बाद, अपनी मां के आंचल में जाकर छुप जाता है। मां उसे अपने आंचल से ढक लेती है, अपने प्यार के कवच से उसे सुरक्षा का बोध कराती है।
इतने में दादाजी कमरे में आए, ' उन्होंने बोला क्या सोच रही हो, रोशनी? "
अभी मुझे बहुत अच्छा अच्छा लग रहा है, ना जाने क्यों मैं स्वयं को सुरक्षा के घेरे में महसूस कर रही हूँ।
पक्षियों की कोलाहल, यह प्राकृतिक खूबसूरती, शांति ,एवं ठंडी ठंडी हवाएं, बहुत ही सुख एवं आत्म संतुष्टि का बोध करा रही है।
दादा जी मुझे ऐसा क्यों लग रहा है ?
दादाजी ने रोशनी की आंखों में देखा, और उसके गहरे भाव को परख कर बोले, "बेटा यह तो सम्मान है, जो तुम मदर नेचर को दे रही हो, यह तुम्हारा प्यार है जो धरती माता की खूबसूरती तुम्हे आकर्षित कर रही है। "
दादा ने समझाया, ' हमें किसी से मिलकर बहुत अच्छा लगता है, उससे बातें करने की इच्छा जागृत होती है, आकर्षण होता है। परंतु दूसरी ओर, किसी को देखने की भी इच्छा नहीं होती। उनके उपस्थिति मात्र से ही जलन होने लगती है, सांसे तेज हो जाती हैं, गुस्सा आ जाता है।
दादा की बातें रोशनी ध्यान से सुन रही थी।
फिर दादा बोले , 'यह तुम्हारा सम्मान है जो प्राकृत अच्छी लगती है, कोई व्यक्ति विशेष प्यारा लगता है ."
ऐसा बिल्कुल ही नहीं कि कोई मुझसे प्यार से बात करें तो ही अच्छा है। वह हमारी मदद करें तभी वह अच्छा है। नहीं , ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कोई अच्छा इसलिए है क्योंकि मैं अच्छा हूं। मेरे हृदय में उसके प्रति सम्मान है।
दादा ने पूछा, अच्छा रोशनी , "क्या तुम्हें अपनी माताजी से प्यार है ?"
रोशनी मुस्कुराते हुए बोली बहुत प्यार है। क्या तुम यह बात प्रमाणित कर सकती हो?
रोशनी सोच में पड़ गई , सोचने लगी प्यार तो है, लेकिन बताएं कैसे ?
दादा बोले, "क्या तुम अपनी मां की मदद करती हो ? उनके कामों में हाथ बटाती हो ? बिना कहे उनकी जरूरतों को पूरा करती हो "
वह प्रफुल्लित होकर बोली, हां।
"क्या करती हो बताओ ?" दादा बोले।
उनके लिए चाय बना देती हूं, कपड़े सुखा देती हूं, और रसोई में भी कभी-कभी सहयोग करती हूं। दादाअपना सिर हिलाते हुए बोले, " यही प्यार है, सम्मान है।
वैसे ही, बिना कहे अपनी पढ़ाई पूरी करना करना भी पेरेंट्स और टीचर को रिस्पेक्ट देना ही है। किताब, कपड़े एवं अन्य सामानों को सही जगह पर रखना भी रिस्पेक्ट है। डिसिप्लिन में रहना भी रिस्पेक्ट देना है। सुबह उठना, अपना काम इमानदारी से करना, समय पर सोना, मोबाइल या इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का उपयोग कम से कम करना भी सम्मान देना है। देना
दादा अभी रोशनी को परख ही रहे थे। और बोले, " यह रिस्पेक्ट हम देते तो हैं दूसरों को, परंतु इसमें पूरा-पूरा लाभ अपना ही होता है। अपनी ही उन्नति होती है। हमारा ही विकास होता है। हमें ही खुशी मिलती है। खुशी कहीं ढूंढने की जरूरत नहीं, वह तो सम्मान के साथ समाहित है।
"समझी रोशनी" दादा खड़े हुए अब बाहर शहर पर जा रहे थे। रोशनी ने तुरंत उनकी वाकिंग स्टिक लाकर उन्हें दिया, और उसके होठों पर लंबी सी मुस्कान आंखों में चमक थी।
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